रिपोर्ट- आलम देवरिया
आभार- प्रदीप देव फ़िल्म जर्नलिस्ट-----
देवरिया 18 फरवरी जितने अच्छे अभिनेता उतने ही बेहतर लेखक और उससे कहीं ज्यादा उम्दा निर्देशन के गुण समेटे हुए एक बेहतरीन शख्सियत जिनका नाम सोम भूषण श्रीवास्तव है । जिनकी बतौर निर्देशक राकेश मिश्रा स्टारर भोजपुरी फ़िल्म 'ठगराजा' शीघ्र रिलीज होने को तैयार है । निर्माता/निर्देशक रवि भूषण श्रीवास्तव के अनुज रहे सोम भूषण जिनको फिल्मी जीवन विरासत में मिला । किंतु अपने दम पर खुद को साबित करने के हुनरमंद रहे सोम भूषण के बीते दिनों के काम व उपाधि की फेहरिस्त काफी लंबी है । संक्षिप्त में नजर डालें तो थिएटर में एन.एस.डी कम्पेनर होने के साथ-साथ एम.ए ऑनर्स इन हिंदी, माखनलाल चतुर्वेदी विवि से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर की शिक्षा इन्होंने हासिल किया । उसके पश्चात IBN7 न्यूज चैनल,।-Bag फ़िल्म, प्रज्ञा चैनल में असिस्टेंट कम एसोसिएट क्रिएटिव हेड, GNN में क्रिएटिव हेड, सोनी और स्टार के लिए प्रोमों क्रिएटिव, महुआ का कंटेंट राईटर, साथ ही बतौर राईटर हिंदी फिल्म स्कॉटलैंड लिखा । जो 40 फेस्टिवल अवॉर्ड जीतने के बाद ऑस्कर के लिए ऑफिशियल नॉमिनेशन में जा चुकी हैं । तकरीबन 20 से 22 रिलीज फिल्मों में बतौर एक्टर विलेन, कॉमेडी सब किया । मगर जो भी किया सब काबिलेतारीफ रहा । इन सभी फिल्मों में भोजपुरी सिनेमा के हर स्टार्स के साथ
काम करने का इनको बेहतरीन अनुभव मिला । लेकिन सही मायने में सोम भूषण अपने आदर्श परेश रावल के वैरिएशन को बखूबी पसंद करते हैं । इनका मानना है कि समय ने जो निर्धारित किया है वही होना है । समय-समय पर खुद का मूल्यांकन करना बड़ी बात होती है । पढ़ के सीखने और करके सीखने में फर्क होता है । गौरतलब है कि इनकी फुल पैकेज इंटरटेनमेंट वाली भोजपुरी फ़िल्म 'ठग राजा' एडिटिंग टेबल से ही चर्चा बटोरनी शुरू कर दी थी और वहीं से इन्हें कई फिल्मों का ऑफर भी आना शुरू हो गया था । लेकिन सोम भूषण की फितरत को यह कत्तई गवारा नहीं था कि कोई भी और कैसी भी फ़िल्म जल्दबाजी में कर लें । इनका कहना है कि पैसा तो हम सबको कमाना ही है । लेकिन गलत तरीके से कभी नहीं । फिल्मों में प्रोड्यूसरों का पैसा लगे तो वह गलती से भी डूबे नहीं । यदि फ़िल्म बनाकर उसे बेचना है तो उसके लिए कंटेंट और मेकिंग धाँसू होनी चाहिए । अजी..बड़े बजट को छोड़िए हम तो छोटे बजट में ही छोटे निर्माताओं के साथ उनके हित के लिए खड़े होने को तैयार हैं । जिनके फ़िल्म की आसानी से रिकवरी दिलाई जा सके । कोरोना काल के बाद मार्केट की हालत किसी से छिपी नहीं है । मार्केट बदल चुका है । पर क्या बदला यह हर कोई नहीं जानता । अलबत्ता बदलाव में नए निर्माता का बड़ा सहयोग हो सकता है । किंतु एक दिन में बदलाव भी नहीं हो सकता । अच्छे लोगों की टीम बनाकर काम करना है । छोटे प्रोड्यूसरों को उबारना है । ताकि लोगों में अच्छी बात जाए । एक अच्छे निर्माता को जिस तरह अच्छे निर्देशक की जरूरत है । उसी तरह निर्देशक को अच्छे निर्माता की भी जरूरत होती है । एक बार विश्वास कहीं न कहीं तो करना ही पड़ेगा । किसी निर्देशक के पिछली फ़िल्म की मेकिंग देखिए फिर उनको काम दीजिए । झोलरों से बचिए । क्योंकि कमजोर लोग सिस्टम को खोखला करते हैं । खुशी की बात है कि बदले हालात में इधर निसन्देह अच्छे तकनीशियनों और नए कलाकारों को भरपूर मौका मिल रहा है । खुले और बेबाक विचारों वाले सोम भूषण स्पष्ट कहते हैं कि टैलेंटेड लोगों का मैंने हमेशा सम्मान किया है । बिना किसी ईर्ष्याभाव से हम चाहते हैं कि और भी अच्छे निर्देशक आगे आएँ । नए को अवसर मिले । ताकि सबमें काम बंटे । हमें अश्लील मुक्त फ़िल्म बनाना है । योजनबद्द तरीके से ही भोजपुरी सिनेमा को बदला जा सकता है । एक सवाल के जवाब में सोम भूषण अपनी सोच और दिल की बात बताते हुए भावविभोर होकर कहते हैं कि हम भोजपुरी के उत्थान हेतु कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं । कदाचित हमें भोजपुरी के संस्कृति को संजोना है । अगर यही नष्ट हो जाएगी तो फिर हमारा क्या वजूद रहेगा ।
"ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने, लम्हों ने ख़ता की थी,सदियों ने सज़ा पाई।"
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