माकपा विधायक राकेश सिंघा ने सरकार से विधानसभा सत्र को बुलाने के लिए विचार करने की मांग की है। सिंघा ने बताया कि उन्होंने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को इस बाबत पत्र लिखकर विधानसभा सत्र से न भागने की अपील की है। सिंघा ने कहा कि कैबिनेट बैठक में विधानसभा सत्र को टाले जाने को लेकर लिया गया आश्चर्यजनक है। सर्वदलीय बैठक में इस तरह का कोई भी संकेत नहीं दिया। इस बैठक में विपक्ष ने विवादित मुद्दों को अलग रखते हुए सर्वसम्मति बनाने का प्रयास किया।
विस सत्र को टालने के फैसले से स्पष्ट है कि सरकार ने कोरोना संकट के बीच आत्मसमर्पण कर दिया है। जिम्मेवारियों से सरकार पीछे हट गई है। मूलभूत स्वास्थ्य सुविधाओं का सरकार प्रबंध नहीं कर सकी है। मेक शिफ्ट अस्पताल अभी तक नहीं बन सके हैं। सरकार की नाकामियों के चलते प्रदेश में अब कोरोना की दूसरी लहर चली है। आशा वर्करों और आंगनबाड़ी वर्करों को अभियान में शामिल करने से पहले उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित करना चाहिए था।
इनकी जान की सरकार को बिल्कुल भी चिंता नहीं है। चुुने गए जनप्रतिनिधि विस में ही अपनी बात रख सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना संक्रमण की शुरूआत के समय जिस प्रकार से सरकारों ने तबलीगी जमात को जिम्मेवार ठहराया था। उसके चलते लोग अब अपनी जांच करवाने से कतरा रहे हैं। लोगों को डर है कि कहीं उन्हें भी तबलीगी जमात का नाम दे दिया जाएगा। सिंघा ने केंद्र सरकार से किसान विरोध कानूनों को वापस लेने की मांग भी उठाई।
PRAGATI MEDIA
REPORTER MUKESH BHIBORIA
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