किन्नौर के सीमावर्ती अन्तिम गांव छितकुल के रहने वाले हैड कान्स्टेबल प्रदीप नेगी ने दूसरी बार इस चोटी का सफलतापूर्वक आरोहण किया, नेगी इससे पूर्व भी विश्व की सबसे ऊँची चोटी 'माउण्ट एवरेस्ट' को 2 बार फतेह करने का कारनामा कर चुके हैं.
शिमला. कोरोना संकट के बीच आईटीबीपी (ITBP) के जवानों ने तमाम बाधाओं को पार करते हुए 22 हजार 222 फीट उंचाई पर स्थित किन्नौर (Kinnaur) जिले की दुर्गम चोटी 'लियो पारगिल' को फतेह किया. कोरोना संकट के दौर में ये उत्तर भारत का पहला पर्वतारोहण (Expedition) अभियान था. 20 अगस्त से शुरू हुआ लियो पारगिल अभियान 5 सितंबर तक चला.
इस अभियान को लेकर मंगलवार को आईटीबीपी के क्षेत्रीय कार्यालय शिमला (Shimla) में फ्लैग-इन कार्यक्रम का आयोजन किया गया.कार्यक्रम में सीएम जयराम ठाकुर ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की.
इस मौके पर आईटीबीपी के डीआईजी प्रेम सिंह ने बताया कि किन्नौर जिले की जंसकर रेंज में स्थित इस दुर्गम चोटी को फतेह करने के लिए 28 सदस्यों का आरोहण दल 20 अगस्त को रिकांगपिओ स्थित 17वीं वाहिनी से रवाना हुआ था. दल ने अति दुर्गम रास्तों,कठिन चुनौतियों और मुश्किलों को पार करते हुए 31 अगस्त और एक सितंबर के दरमियान लियो पारगिल चोटी को फतेह कर तिरंगा फहराया. पर्वतारोही टीम का नेतृत्व डिप्टी कमांडेन्ट कुलदीप सिंह ने किया. दल के कुल 12 सदस्यों ने 'लियो पारगिल' चोटी का सफलतापूर्वक आरोहण किया.
किन्नौर के सीमावर्ती अन्तिम गांव छितकुल के रहने वाले हैड कान्स्टेबल प्रदीप नेगी ने दूसरी बार इस चोटी का सफलतापूर्वक आरोहण किया, नेगी इससे पूर्व भी विश्व की सबसे ऊँची चोटी 'माउण्ट एवरेस्ट' को 2 बार फतेह करने का कारनामा कर चुके हैं.
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अभियान दल के सदस्यों से मुलाकात कर सफलता के लिए बधाई दी और जवानों का होंसला बढ़ाया.सीएम ने कहा कि इस तरह के अभियान, बल के कर्मियों को नेतृत्व, आत्मीयता, अनुशासन और उनमें आत्मविश्वास की भावना विकसित करने के अलावा जवाबदेही और पहल के साथ साथ अनिश्चित और गंभीर परिस्थितियों का सामना करने के लिए प्रशिक्षित करते हैं.
आईटीबीपी के अधिकारियों ने कहा कि इस पर्वतारोहण अभियान में जवानों ने पर्यावरण जागरूकता और स्वच्छता के संदेश को आगे बढाया. पूरे अभियान के दौरान दल ने 50 किलोग्राम का बायोडिग्रेबल कूड़े उठाया और उसका निष्पादन किया.
PRAGATI MEDIA
REPORTER RAJESH KUMAR
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