सामरिक महत्व की अटल सुरंग रोहतांग को बनाने का विचार करीब 160 साल पुराना है। सुरंग का डिजाइन तैयार करने वाली ऑस्ट्रेलियाई कंपनी स्नोई माउंटेन इंजीनियरिंग ने अपनी वेबसाइट में दावा किया है कि रोहतांग दर्रे पर सुरंग बनाने का पहला विचार 1860 में मोरावियन मिशन ने रखा था। देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के कार्यकाल में भी रोहतांग दर्रे पर रोप-वे बनाने का प्रस्ताव आया था।
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सरकार में मनाली-लेह के बीच साल भर कनेक्टिविटी को सड़क निर्माण की परियोजना बनी। इसे मूर्त रूप पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मिला। उन्होंने वर्ष 2002 में रोहतांग दर्रे पर सुरंग बनाने की परियोजना की घोषणा की। वर्ष 2019 में वाजपेयी के नाम पर ही सुरंग का नाम अटल सुरंग रखा गया। पूर्वी पीर पंजाल की पर्वत शृंखला में बनी 9.02 किमी लंबी यह सुरंग लेह-मनाली राजमार्ग पर है। यह करीब 10.5 मीटर चौड़ी और 5.52 मीटर ऊंची है।
टनल का निर्माण कर रही कंपनी एफकॉन के हाइड्रो एंड अंडरग्राउंड कारोबार के निदेशक सतीश परेटकर ने कहा कि घोड़े के नाल के आकार की इस सुरंग ने देश के इंजीनियरिंग के इतिहास में कई कीर्तिमान रचे हैं। बहुत से ऐसे काम हैं, जिन्हें पहली बार इस परियोजना में अंजाम दिया गया। इस एकल सुरंग में डबल लेन सड़क होगी। समुद्र तल से दस हजार फीट की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी वाहन योग्य सुरंग है। यह देश की पहली ऐसी सुरंग होगी, जिसमें मुख्य सुरंग के भीतर ही बचाव सुरंग बनाई गई है।
PRAGATI MEDIA
REPORTER MOHAN LAL BAGA
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