करीब 3200 करोड़ से बनकर तैयार हुई अटल टनल रोहतांग देश के लिए सामरिक दृष्टि से अति महत्वपूर्ण है। चीन और पाकिस्तान से लगने वाले सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए मनाली से कुछ ही घंटों में सेना पहुंच जाएगी। आधुनिक स्तर की टनल के निर्माण में भले ही बीआरओ ने देश-दुनिया में वाहवाही लूटी है, लेकिन दस साल की अवधि में टनल निर्माण में लगे 80 से अधिक लोगों की जान भी गई है। सोलंगनाला से अटल टनल के साउथ पोर्टल तक बनने वाली 23 किलोमीटर लंबी सड़क का कार्य वर्ष 2002 से शुरू हो गया था। सोलंगनाला से सात किलोमीटर दूर कांगणी नाला में सड़क का कार्य कर रहे 60 श्रमिक टेंट में रहते थे।
आठ अगस्त, 2003 को कांगणी नाला में रात को साढ़े 11 बजे बादल फटने से बाढ़ आ गई। इसमें 60 श्रमिकों की जान चली गई। इनमें 27 श्रमिकों के शव अगले दिन मिले थे। इस हादसे में 45 लोगों के ही शव बरामद हो सके, अन्य श्रमिकों के शव आज तक नहीं मिले हैं। वर्ष 2008 में भी कांगणी नाला के साथ लगते आखिरी नाले में भी बादल फटा था। इसमें किसी तरह का नुकसान नहीं हुआ था। सोलंगनाला को टनल के साउथ पोर्टल से जोड़ने वाला हॉकी पुल गर्ग एंड गर्ग कंपनी ने करोड़ों रुपये से बनाया था। साल 2014 में व्यास नदी में आई बाढ़ से इस पुल का बहुत बड़ा हिस्सा बह गया था। इस हादसे में 20 श्रमिकों की जान चली गई थी। इसके अलावा भी टनल निर्माण के दौरान अनेक घटनाएं हुईं, जिसमें कई श्रमिक आज तक वापस अपने घर नहीं जा सके और अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।
PRAGATI HIMACHAL
REPORTER RAJESH KUMAR
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