आज से सड़क परिवहन सेवा शुरू इसका अर्थ ये कदापि नहीं कि संक्रमण का खतरा टल गया।
कदम रोके रहें ताकि जीवन चलता रहे।
एक दिन अचानक बुख़ार आता है
गले में दर्द होता है
साँस लेने में कष्ट होता है
Covid टेस्ट की जाती है
1 दिन तनाव में बीतता हैं
अब टेस्ट + ve आने पर रिपोर्ट नगरपालिका जाती है रिपोर्ट से हॉस्पिटल तय होता है, फिर एम्बुलेंस कॉलोनी में आती है..
कॉलोनीवासी खिड़की से झाँक कर तुम्हें देखते हैं, कुछ लोग आपके लिए टिप्पणियां करते है, कुछ मन ही मन हँस रहे होते हैं..
एम्बुलेंस वाले उपयोग के कपड़े रखने का कहते हैं, बेचारे घरवाले तुम्हें जी भर कर देखते हैं, ओर वो भी टेन्सन में आ जाते है और सोचने लगते है कि अब किसका नम्बर है..
तुम्हारी आँखों से आँसू बोल रहे होते हैं तभी प्रशासन बोलता है..
“चलो जल्दी बैठो”
एम्बुलेंस का दरवाजा बन्द, सायरन बजाते रवानगी, फिर कॉलोनी वाले बाहर निकलते है, फिर कॉलोनी सील कर दी जाती है।14 दिन पेट के बल सोने को कहा जाता है दो वक्त का जीवन योग्य खाना मिलता है TV, Mobile सब अदृश्य हो जाते हैं..सामने की खाली दीवार पर अतीत और भविष्य के दृश्य दिखने लगते हैं ओर वहा पर बुरे बुरे सपने आने लगते है..
अब आप ठीक हो गए तो ठीक वो भी जब 3 टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आ जाएँ तो घर वापसी..
लेकिन इलाज के दौरान यदि आपके साथ कोई अनहोनी हो गई तो
तो आपके शरीर को प्लास्टिक के कवर में पैक कर सीधे शवदाहगृह, शायद अपनों को अंतिमदर्शन भी नसीब नहीं कोई अंत्येष्टि क्रिया भी नहीं..
सिर्फ परिजनों को एक “डेथ सर्टिफिकेट” वो भी इसलिए कि वसीयत का नामांतरण करवाने के लिए और
खेल खत्म
बेचारा चला गया
अच्छा था..
इसीलिए बेवजह बाहर मत निकलिए घर में सुरक्षित रहिए, बाह्यजगत का मोह और हर बात को हल्के में लेने की आदतें त्याग दीजिए..
2020 काम धंधे का, कमाई करने का नहीं है पिछले वर्षों में कमाया उसे खर्च करिये
मार्च 20 से दिसम्बर 20 तक 10 माह कमाने का वर्ष नही है
जीवन बचाने का वर्ष है..
जीवन अनमोल है
कड़वा है किंतु यही सत्य है अगर बुरा लगा हो तो माफी, वैसे सच यही है..
“लॉक-डाउन में छूट सरकार ने दी है,
कोरोना ने नही...”
घर पर रहे
सुरक्षित रहे
प्रगति मीडिया
रिपोर्टर राजेश कुमार
हिमाचल प्रदेश
कदम रोके रहें ताकि जीवन चलता रहे।
एक दिन अचानक बुख़ार आता है
गले में दर्द होता है
साँस लेने में कष्ट होता है
Covid टेस्ट की जाती है
1 दिन तनाव में बीतता हैं
अब टेस्ट + ve आने पर रिपोर्ट नगरपालिका जाती है रिपोर्ट से हॉस्पिटल तय होता है, फिर एम्बुलेंस कॉलोनी में आती है..
कॉलोनीवासी खिड़की से झाँक कर तुम्हें देखते हैं, कुछ लोग आपके लिए टिप्पणियां करते है, कुछ मन ही मन हँस रहे होते हैं..
एम्बुलेंस वाले उपयोग के कपड़े रखने का कहते हैं, बेचारे घरवाले तुम्हें जी भर कर देखते हैं, ओर वो भी टेन्सन में आ जाते है और सोचने लगते है कि अब किसका नम्बर है..
तुम्हारी आँखों से आँसू बोल रहे होते हैं तभी प्रशासन बोलता है..
“चलो जल्दी बैठो”
एम्बुलेंस का दरवाजा बन्द, सायरन बजाते रवानगी, फिर कॉलोनी वाले बाहर निकलते है, फिर कॉलोनी सील कर दी जाती है।14 दिन पेट के बल सोने को कहा जाता है दो वक्त का जीवन योग्य खाना मिलता है TV, Mobile सब अदृश्य हो जाते हैं..सामने की खाली दीवार पर अतीत और भविष्य के दृश्य दिखने लगते हैं ओर वहा पर बुरे बुरे सपने आने लगते है..
अब आप ठीक हो गए तो ठीक वो भी जब 3 टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आ जाएँ तो घर वापसी..
लेकिन इलाज के दौरान यदि आपके साथ कोई अनहोनी हो गई तो
तो आपके शरीर को प्लास्टिक के कवर में पैक कर सीधे शवदाहगृह, शायद अपनों को अंतिमदर्शन भी नसीब नहीं कोई अंत्येष्टि क्रिया भी नहीं..
सिर्फ परिजनों को एक “डेथ सर्टिफिकेट” वो भी इसलिए कि वसीयत का नामांतरण करवाने के लिए और
खेल खत्म
बेचारा चला गया
अच्छा था..
इसीलिए बेवजह बाहर मत निकलिए घर में सुरक्षित रहिए, बाह्यजगत का मोह और हर बात को हल्के में लेने की आदतें त्याग दीजिए..
2020 काम धंधे का, कमाई करने का नहीं है पिछले वर्षों में कमाया उसे खर्च करिये
मार्च 20 से दिसम्बर 20 तक 10 माह कमाने का वर्ष नही है
जीवन बचाने का वर्ष है..
जीवन अनमोल है
कड़वा है किंतु यही सत्य है अगर बुरा लगा हो तो माफी, वैसे सच यही है..
“लॉक-डाउन में छूट सरकार ने दी है,
कोरोना ने नही...”
घर पर रहे
सुरक्षित रहे
प्रगति मीडिया
रिपोर्टर राजेश कुमार
हिमाचल प्रदेश
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