जैसा कि आप जानते हैं कि इस वक्त पूरा विश्व एक वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जूझ रहा है, इस वक्त किसी भी देश के पास इस महामारी से बचने का कोई उपाय नहीं है अमेरिका जैसा सबसे ताकतवर देश भी इस वक्त इस महामारी के आगे अपने घुटने टेक चुका है इस बीमारी का बस एक ही इलाज है कि सभी अपने घर पर रहे । अभी तक इस बीमारी से बचने की कोई भी दवा किसी भी देश में नहीं बनी भारत के आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के आह्वान पर भारत के हर राज्य ने लॉक डाउन की पालना की और काफी हद तक इस बीमारी पर पकड़ पाने में भी हमारा देश बाकी देशों के मुकाबले काफी सफल रहा लेकिन कुछ लोगों की लापरवाही या ना समझी के कारण या जानबूझकर अपने स्वार्थ के लिए एक बार फिर देश का नाम खराब करने का प्रयास किया गया जी हां आप ठीक समझे "तब्लीगी जमात".
आज बात तब्लीगी जमात की करेंगे कि कौन है यह जमात कहां से इसकी उत्पत्ति हुई और किन उद्देश्य के साथ यह हिंदुस्तान में आज तक काम करती आई है। कुछ लोगों के लिए यह शब्द नया है लेकिन तब्लीगी जमात की शुरुआत हमारे देश में आज से तकरीबन 100 साल पहले हुई । यह जमात पिछले 100 साल से हिंदुस्तान के अंदर काम कर रही है, तबलीगी जमात का उद्देश्य मात्र मुसलमानों को पक्का मुसलमान बनाना है,तब्लीगी जमात मुसलमानों के बीच हर एक गैर इस्लामिक चीज छोड़ने का प्रचार करती है जैसे खानपान, जीवनशैली, पोशाक , मान्यताएं, स्वर्ग भाषा आदि सबकुछ.
प्रसिद्ध विद्वान मौलाना वहीदुद्दीन खान की पुस्तक तबलीगी मूवमेंट मैं इसकी प्रमाणिक जानकारी मिलती है। इस जमात के संस्थापक मौलाना इलियास थे। मौलाना इलियास को यह देखकर भारी रंज होता था कि दिल्ली के आसपास के मुसलमान सदियों बाद भी बहुत चीजों में हिंदू रंगत लाए हुए थे। वह गौ मांस नहीं खाते थे, चचेरी बहनों से शादी नहीं करते थे ,कुंडल कड़े धारक करते थे, चोटी रखते थे यहां तक कि अपने नाम भी हिंदू जैसा रखते थे, कुछ तो कलमा पढ़ना भी नहीं जानते थे इसी बात से क्षुब्ध होकर मौलाना इलियास ने मुसलमानों को कथित तौर पर अपने द्वारा बनाए गए रास्ते पर लाना उचित समझा। मौलाना के अनुसार इसका उपाय मुसलमानों को हिंदुओं से अलग करना था ताकि मुसलमानों को बुरे प्रभाव से बचाया जाए।
मुमताज अहमद के अनुसार तबलीगी एजेंडा को महात्मा गांधी द्वारा खिलाफत आंदोलन के सक्रिय समर्थन से ताकत मिली ऐसा इसके पहले कभी नहीं हुआ इससे उपजे आवेश के लाभ उठाकर उन्होंने सही इस्लाम और आम मुसलमानों के बीच दूरी पाटने और उन्हें हिंदू समाज से अलग करने में आसानी हुई। खिलाफत के बाद जमात का काम इतनी तेजी से बड़ा की जमात ए उलेमा ने 1926 में बैठक कर तबलीग को स्वतंत्र रूप में चलाने का फैसला किया और इसी तरीके से तबलीगी जमात बनी।
मौलाना यूसुफ ने अपनी मृत्यु से 3 दिन पहले रावलपिंडी में सन 1965 में कहा था "उम्मत" की स्थापना अपने परिवार, दल राष्ट्र ,देश ,भाषा आदि की महान कुर्बानियां देकर ही हुई थी। याद रखो मेरा देश मेरा क्षेत्र मेरे लोग आदि चीजें एकता तोड़ने की ओर जाती है इन सब को अल्लाह सबसे ज्यादा नामंजूर करता है राष्ट्र और अन्य समूहों के ऊपर इस्लाम की सामूहिक सर्वोच्चता रहनी चाहिए।
सन 1992 -1993 में भारत , पाकिस्तान, बांग्लादेश में कई मंदिरों पर हमले में तबलीगी जमात का नाम उभरा था। न्यूयॉर्क में आतंकी हमले के बाद तो वैश्विक अध्ययनों में भी उसका नाम बार-बार आया। अमेरिका के अलावा मोरक्को फ्रांस फिलीपींस उज्बेकिस्तान और पाक में सरकारी एजेंसियों ने जिहादियों और तबलीगियों में गहरे संबंध पाए थे।
यह कहने में भी मुझे संकोच नहीं है कि तबलीगी जमात को कुछ और राजनीतिक दलों का भी सहयोग रहा चुनाव में इस जमात के लोग भी भारी संख्या में अपना वोट देते थे और जो दल इनकी बात करता था जो इनके हितों की बात करता था वह दल सत्ता में आकर इन्हें हर मुमकिन सहायता करता था।आज जब पूरे विश्व में कोरोना वायरस नाम की महामारी में भी भारत में इनकी राष्ट्र विरोधी सोच सामने आई यह कहना गलत नहीं है कि कुछ लोगों की वजह से पूरे भारत और पूरे समाज को विश्व में शर्मसार होना पड़ता है "वासुदेव कुटुंबकम" जैसी रीत भारत की रही, भारत ही एक ऐसा देश है जहां सभी धर्मों को एक जैसा दर्जा प्राप्त हुआ हमारे संविधान में भी यह बात लिखी गई है कि किसी को भी धर्म के नाम पर भेदभाव नहीं किया जाएगा लेकिन जिस प्रकार से इनकी राष्ट्र विरोधी सोच देश के सामने आ रही है यह देश में जरूर एक चर्चा का विषय रहेगा कि आने वाले समय में भविष्य में इनकी मानसिकता को किस प्रकार से आंका जाए लेकिन देश को अब ऐसी जमात के बारे में गंभीर रूप से सोचने की जरूरत है ताकि भविष्य में भारत का सर फिर कुछ लोगों की वजह से ना झुके और जिस तरह से हमारा देश पूरे विश्व गुरु की तरफ बढ़ता जा रहा है उसमें इन जैसी जमातो की वजह से रोड़ा ना बने।
संवाददाता
राजेश कुमार
बिलासपुर हिमाचल प्रदेश।
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